( धर्मेन्द्र साहू )
खजुराहो। बाल मन बिलकुल गंगा जल की तरह शुद्ध व निश्छल होता है वो अपने पराये में कोई भेद भी नहीं रखता लेकिन उस बचपने को कोई विदीर्ण करने की कोशिश करे तो वो अंदर से टूट जाता है । बच्चों के साथ ऐसा अत्याचार न हो इसके लिए जागरूकता जरुरी है । ये बात फिल्म डायरेक्टर सुचेता फुले ने कही।
पिछले दिनों खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दुबई से हिस्सा लेने आईं सुचेता ने पांच साल की बच्ची पर आधारित शॉर्ट फिल्म ‘द जर्नी टू हर स्माइल’ बनाई है । इस फिल्म में किसी परिचित द्वारा यौन शोषण की शिकार बच्ची की उस माँ की कहानी बताई गई है जो उस घटना के बाद बुरी तरह टूट चुकी थी और फिर वो माँ कैसे उस सदमे से उबरती है इसको फिल्मांकित किया गया है ।
इस शिक्षाप्रद फिल्म के लिए सुचेता को अभी तक कई अवार्ड मिल चुके हैं । कान फिल्म फेस्टिवल सहित लन्दन व बर्लिन में भी इस फिल्म की काफी सराहना हुई है । खजुराहो फिल्म फेस्टिवल में भी इस फिल्म को शामिल किया गया है।
सुचेता ने बताया कि हम चाइल्ड केयर व चाइल्ड सेफ्टी के लिए क्या कर सकते है इस पर सबको विचार करने की जरुरत है । वे अपनी फिल्मों के माध्यम से बाल यौन हिंसा रोकने व अभिभावकों को जागरूक करने पर जोर दे रही हैं क्योंकि ज्यादातर मामलों में बच्चों को शिकार बनाने वाला कोई अपना ही होता है। चाहे फिर वो कोई करीबी रिश्तेदार, दोस्त,टीचर, स्कूल बस का ड्राईवर-कंडक्टर, स्कूल या हॉस्टल का स्टाफ आदि कोई भी हो सकता है । उन्होंने बताया कि दुबई में तो अब स्कूल बस का कंडक्टर केवल महिलाओं को ही बनाया जाने लगा है ।
उन्होंने बताया कि इन सब मामलों में माता-पिता को जागरूक होने की जरुरत होती है। ऐसी घटनाओं के शिकार बच्चों को इन घटनाओं से उबारने और उन्हें स्वावलंबी बनाने पर भी जोर दिया जाना जरूरी होता है।
सुचेता फुले ने खजुराहो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे इस आयोजन का सुनहरा भविष्य देख रही हैं और जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम मिलेगें।
सुचेता अब तक कई शॉर्ट, एड, कॉरपोरेट व डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाकर दुनिया भर में अपना नाम बुलंद कर रही हैं ।