व्यापारी चाहे छोटा हो बड़ा, जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स ने सबको परेशान कर रखा है । एक देश -एक टैक्स के नाम पर देशवासियों के साथ छलाबा किया गया है।
जीएसटी के नाम पर सरकार ने हर व्यापार करने वाले आदमी को उलझा कर रख दिया है । महीने में चार रिटर्न भरने की नीति के कारण व्यापार से जुड़ा हर व्यक्ति वकील और सी ए के चक्कर लगा रहा है ।
हालात ये है कि भले ही वो व्यापार में कुछ कमा रहा हो या नहीं उसे निल रिटर्न जमा करने के नाम पर भी वकील या सी ए को तो फीस देना ही है और फिर मानसिक तनाव अलग । यदि रिटर्न जमा नहीं किया तो 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से लेट फीस भरनी होगी।
जहाँ 5 प्रतिशत जीएसटी लगनी चाहिए थी वहां 28 प्रतिशत लागू की गई है । मोदी सरकार की इस हठधर्मिता से देशभर में आक्रोश है ।
एडवोकेट जीतेश हयारण बताते हैं कि जीएसटी पोर्टल का हाल ये है कि उसका सर्वर भी अक्सर हैंगआउट बना रहता है जिसका खामियाजा क्लाइंट को समय और पैसा बर्बाद करके भुगतना पड़ रहा है ।
कुल मिलाकर आधी अधूरी तैयारी और केवल सरकार की जेब भरने के उद्देश्य से जीएसटी लागू की गई है । मोदी सरकार की इस नीति की जमकर आलोचना हो रही है ।