जानिये : ऐसे अधिकारियों से बदल सकता है देश

जानिये : ऐसे अधिकारियों से बदल सकता है देश

धर्मेन्द्र साहू
चेन्नई। भारत में ऐसे ईमानदार अफसर भी है जिनसे प्रेरणा लेकर देश में बदलाव लाया जा सकता है।  भारतीय  रेलवे में तैनात वरिष्ठ आईआरटीएस अधिकारी  अजीत सक्सेना ऐसे ही एक अफसर हैं जिनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिसालें दी जाती हैं। वर्तमान में दक्षिण रेलवे के चीफ कॉमर्शियल मैनेजर के पद पर तैनात अजीत सक्सेना अपने जीवन में जिन यम-नियम सिद्धांतों का पालन करते हैं वे उनके विजीटिंग कार्ड पर भी मुद्रित हैं । इन सिद्धान्तों को वे अपने व्यक्तिगत जीवन के साथ ही राष्ट्र की उन्नति के लिए भी प्रतिपादित करते हैं । अपनी आय का कुछ हिस्सा वे नियमित रूप से समाजसेवा में व्यय करते हैं । कई असहाय बच्चों की शिक्षा का खर्च भी वे स्वयं वहन करते हैं । उनके सिद्धांतो की  राष्ट्र को बेहद जरुरत है और शायद प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भी ऐसी ही सोच रखते हैं। उल्लेखनीय है कि अजीत सक्सेना बाबा महाअवतार जी के शिष्य हैं और उनकी शिक्षाओं को सर्वोपरि मानते हुये उन्हें जीवन में उतारते हैं।
ये सूत्र हैं अजीत सक्सेना के
1.भोगना भी नहीं है, भागना भी नहीं है ।
2.जो मेरे राम का नहीं, वो मेरे काम का नहीं है ।
3.पाप में भागीदार, माँ-बाप के भी नहीं बनना है
4.ईश्वर के यहाँ डॉलर भी नहीं चलता है ।
आपको बता दें कि श्री सक्सेना ने सीनियर डीसीएम के रूप में  अपनी झाँसी पोस्टिंग के दौरान वर्ष 2003 में चार्ज लेने के एक सप्ताह के अंदर लैंड लाइन फ़ोन से भारतीय रेल की पहली हेल्प लाइन सेवा की स्थापना करके क्रांतिकारी सोच को साकार किया था। ये एक ऐसा सिस्टम था जिसमे एक फोन कॉल से ही रेल यात्री की हर परेशानी को हल किया जा सकता था।  लगभग 15 वर्ष पूर्व लिया गया ये क्रांतिकारी प्रयास   ही आज की भारतीय रेल की ट्विटर और यूपी  में  1090 हेल्प लाइन का जनक है। अजीत सक्सेना  सिविल  सेवा प्रोबेशनर्ज़ को अकेडमिक ट्रेनिंग के दौरान लेक्चर्ज़ में बताते हैं कि सिविल सर्विसेज़ को  बजाय अथॉरिटी और  रुतबे का स्रोत समझने के उन्हें ‘सेवा का अवसर ‘  समझना चाहिए।
अपने द्वारा दिए गए अनूठे concept ‘ Corporate Spiritual Responsibility’ में उनकी मुख्य परिकल्पना है :
1. “व्यवस्था’ of any organisation depends on the ‘अवस्था’of its managers”
And
2. Quality of your Being will decide the quality of your Doing.
इन आध्यात्मिक inputs के बिना व्यवस्था परिवर्तन असम्भव है ।
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