पृथक बुंदेलखंड राज्य : जरूरत पड़ी तो गांधी का रास्ता छोड़ सुभाष और भगत सिंह की राह चलेंगे – भानु सहाय

पृथक बुंदेलखंड राज्य : जरूरत पड़ी तो गांधी का रास्ता छोड़ सुभाष और भगत सिंह की राह चलेंगे – भानु सहाय

(धर्मेन्द्र साहू)

बुंदेलखंड राज्य आंदोलन के कददावर नेता भानु सहाय पिछले दो दशक से पृथक राज्य की लड़ाई लड़ रहे हैं। बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के प्रणेता स्व.शंकर लाल मेहरोत्रा के साथी रहे भानु सहाय ने एक समय फिल्म अभिनेता राजा बुंदेला के साथ भी इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाया था लेकिन बाद में आंदोलन को अपने ढंग से धार देने के लिये उन्होंने बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा का गठन किया और तब से लगातार राज्य आंदोलन के समर में अपना योगदान दे रहे हैं। बुंदेलखंड राज्य निर्माण के नाम पर चुनाव जीते वादाखिलाफी करने वाले नेताओं के उन्होंने बाकायदा भरे चौराहों पर कई बार पुतले फूंके। बुंदेलखंड राज्य के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान व जनजागरूकता अभियान भी उन्होंने चलाया। राज्य निर्माण के पक्ष में भानु सहाय ने लगातार कई दिनों तक गांधी जी की प्रतिमा के समक्ष झांसी में सत्याग्रह किया। विभिन्न सामाजिक कार्यों से जुड़े भानु सहाय कांग्रेस के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं बावजूद इसके बुंदेलखंड राज्य के मुददे पर उन्होंने समय-समय पर कॉंग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को खरी-खोटी सुनाईं है।
झांसी। बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष भानु सहाय ने दो टूक शब्दों में कहा है कि बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिये वे अभी गांधीवादी तरीके से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन अगर अब सरकारें नहीं चेतीं तो उनका आंदोलन सुभाष चन्द्र बोस और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों का रूख अख्तियार कर लेगा। भानु ने कहाकि बुंदेलखंड के साथ बहुत छलावा हो गया अब बर्दाश्त की सीमा खत्म होनें को है।
खास रिपोर्ट डॉट कॉम से खास बातचीत में भानू सहाय ने बताया कि 70 सालों से बुंदेलखंड उपेक्षा का दंश झेल रहा है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश रूपी दो पाटों के बीच बुंदेलखंड पिस रहा है। राजनीति चमकाने वाले यहां आते हैं और यहां के भोले-भाले लोगों को भरमाकर विधानसभाओं और संसद तक पहुंच जाते हैं लेकिन वहां पहुंचते ही उनकी कुटिल नीयत उजागर हो जाती है। छला जाता है तो केवल बुंदेलखंडी ।
उन्होंने कहाकि बुंदेली धरा ने कई आम नेताओं को संसद तक पहुंचाया है उन्हें मंत्री तक बनने का मौका यहां की जनता ने दिया है लेकिन सत्ता के सुख में उन लोगों ने बुंदेलखंड राज्य की बात तो छोड़िये बुंदेली लोगों तक को बिसार दिया। उन्होंने कहाकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान झांसी-ललितपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहीं साध्वी उमा भारती ने वादा किया था कि यदि केन्द्र में उनकी सरकार बनती है तो 3 साल के अंदर बुंदेलखंड राज्य का निर्माण किया जायेगा। उमा भारती अच्छे वोटों से चुनाव जीती और केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की बहुमत की सरकार बनी। उमा भारती को केन्द्रीय मंत्री भी बनाया गया लेकिन सत्ता मिलते ही उनके सुर बदल गये।
भानु सहाय ने कहा कि वे तो बुंदेलखंडवासियों का आहवान कर रहे हैं कि मौकापरस्त नेताओं को बिल्कुल वोट नहीं दें तभी इन्हें अपनी हैसियत समझ में आयेगी। जनता के सेवक बनने के बजाय ये नेता जनता के मालिक बन जाते हैं । महीनों क्षेत्र की जनता को अपनी सूरत नहीं दिखाते हैं । ये नेता भूल जाते हैं बुंदेलखंड की उस गरीब जनता को जिनके वोट की ताकत से ये सत्ता का सुख भोग रहे हैं।
बुंंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय बताते हैं कि ऐसे वादा खिलाफी करने वाले नेताओं के उन्होंने पुतले जलाकर संदेश दिया है कि यहां की जनता अब इंसाफ चाहती है। उन्होंने कहाकि भुखमरी, पलायन और आत्महत्याओं की भेंट चढ़ रहा बुंदेली यदि बगावत पर उतारू हो गया तो तबाही मच जायेगी। उन्होंने कहाकि अभी उन्होंने गांधी जी की प्रतिमा के समक्ष सत्याग्रह किया ताकि सरकार की आंखे खुलें लेकिन ये सरकारें तो अंग्रेजी हुकूमत से भी बुरा रूख बनाये हुये हैं। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने बुंदेलखंड के लोगों के साथ छलावा किया है । भानु सहाय ने कहाकि संपूर्ण विकास के लिये स्वराज्य जरूरी है क्यांकि स्वराज्य के कारण ही आज पंजाब, गुजरात , उत्तराखंड और गोवा जैसे राज्य विकसित हो सके हैं।
उन्होंने कहाकि बुंदेलखंड में अकूट खनिज सम्पदा है, तीर्थ हैं, पर्यटन स्थल हैं जिनसे मिले राजस्व को एम.पी. और यू.पी. में बांट दिया जाता है और बदले में बुंदेलखंड को धेला भी नहीं मिलता है। यहां का नौजवान रोजगार न हांने के कारण पलायन कर रहा है। किसान आत्महत्याएं करने पर मजबूर हो रहा है। बुंदेलखंड को अप्रत्यक्ष रूप से लूटा जा रहा है।उन्होंने कहाकि अगर बुंदेलखंड अलग राज्य बन जाये तो ये 10 साल के अंदर देश का सबसे समृद्ध राज्य बन जायेगा । ये मेरा दावा है।

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