( धर्मेन्द्र साहू )
मुम्बई । अभिनय की बारीकियां सीखने का सबसे सशक्त माध्यम थियेटर होता है । एक रंगकर्मी की साधना तभी सफल होती है जब दर्शकों को उसका अभिनय पसंद आये । ये कहना है अभिनेत्री अनामिका तिवारी का ।
जुहू स्थित आदेश स्टूडियो में एक मुलाक़ात के दौरान अनामिका ने खास रिपोर्ट डॉट कॉम को बताया कि उनकी मां ऑल इंडिया रेडियो के प्रशासनिक विभाग में थीं इसलिए बचपन से ही कला और कलाकारों के बीच रहने का मौका मिला । रेडियो में बच्चों के कई कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर भी मिला।
लखनऊ की रहने वाली अनामिका ने अलख आज़ादी’ एवं कुंदमाला जैसे कई थियेटर शो प्ले किये। अनामिका का
2006 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में चयन हुआ । जोश थियेटर ग्रुप ने अनामिका को सम्मानित किया है । इस दौरान लखनऊ दूरदर्शन के शो ‘बांसुरी’ में उन्होंने शानदार अभिनय किया । इनकी हिंदी फिल्म ‘ओस’ शीघ्र रिलीज होने वाली है।
फिलहाल अनामिका मुम्बई में फिल्मों पर ध्यान दे रही हैं । उन्होंने बताया कि बॉलीवुड में उन्हें सबका सहयोग मिल रहा है । उन्होंने कहाकि थियेटर में पैसा भले ही नहीं है लेकिन कलाकार की कला यहीं से निखरती है।