( धर्मेन्द्र साहू )
मुम्बई। अगर आप अच्छा सोचते हो तो एक दिन मंजिल तक पहुंच ही जाते हो। मेरे अंदर भी एक कलाकार बनने की सकारात्मक सोच थी जिसने कई नकारात्मक परिस्थितियों को दूर कर मुझे फिल्म नगरी तक पहुंचा दिया। खास रिपोर्ट डॉट कॉम से एक भेंटवार्ता के दौरान ये बात कही चिड़ियाघर सीरियल में गज का रोल निभा रहीं अंजिता पूनिया ने।
राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 180 कि.मी.दूर स्थित झंझनू शहर अपने महलों और उनमें बने भित्तिचित्रों के लिये जाना जाता है। झुंझुनू की सड़कों पर ऊंट गाड़ियों से उड़ती धूल के गुबार से यहां की लोक संस्कृति में और भी रंग भर जाते हैं। यहां के निवासी जयपाल पूनिया की बेटी अंजिता पूनिया को इलाके के पारम्परिक माहौल से अलग बचपन से ही कलाकार बनने का शौक लग गया। उन्हें अपने अंदर से कलाकार बनने की आवाज सुनाई देती थी।
जयपुर के आई.सी.जी.कॉलेज में ग्रेजुएशन करने के दौरान अंजिता ने एक मंझे हुये कलाकार की तरह कई थियेटर किये जिससे इनकी मुम्बई जाकर बड़ा कलाकार बनने की सोच और परवान चढ़ी। हालांकि पारिवारिक माहौल इसके लिये इजाजत नहीं देता था लेकिन अंजिता ने मम्मी-पापा को इसके लिये राजी कर ही लिया।
अंजिता ने बताया कि दिसम्बर 2016 को मैं फिल्मी नगरी मुम्बई आई और कुछ समय में ही गरिमा प्रोडक्शन के ख्याति प्राप्त शो चिडियाघर में गज जैसा महत्वपूर्ण किरदार निभाने का मौका मिल गया। इसके लिये अंजिता अपने पैरेंट और भगवान के प्रति कृतज्ञता जताती हैं। उन्होंने कहाकि अभिनय की दुनिया में मेरी अच्छी शुरूआत हुई है और भरोसा है कि आने वाले समय में ऑडियेंस मेरे अभिनय को अपना प्यार देते रहेंगें।
अंजिता के मुताबिक मैंने लगातार अच्छा कलाकार बनने की अपनी सोच बनाई और उस कला को अपनी ओर आकर्षित किया जिसके चलते मुझे जल्दी सफलता मिली। उन्होंने कहाकि जब आपकी सोच अच्छी होती है तो किस्मत भी आपका साथ देती है। आज अंजिता के परिजनों के साथ ही उनके शहर के लोगों को भी उन पर गर्व होता है।