झांसी। दीपावली पर्व का माहौल है, बाजारों में भीड़ है लेकिन ग्राहक खरीददारी केवल शगुन के लिये कर रहे हैं। धनतेरस पर बाजार तो गुलजार रहे लेकिन व्यापारी निराश, क्योंकि उम्मीद के मुताबिक बिक्री नहीं हुई । जीएसटी लागू होने के बाद से कई चीजों के दाम इतने बढ़ गये हैं कि आम आदमी उसे कम ही खरीद रहे हैं।
शहर के सबसे बड़े बाजार मानिक चौक में धनतेरस पर तिल रखने को जगह नहीं होती थी लेकिन इस बार भीड़ तो थी लेकिन उतनी नहीं जितनी पहले के वर्षों में होती थी । ग्राहकों ने खरीददारी तो की लेकिन केवल शगुन पूरा करने के लिये। व्यापारी त्राहिमाम् कर उठा क्योंकि जीएसटी ने सारी वस्तुओं में असमानता पैदा कर दी । किसी चीज पर 12 प्रतिशत टैक्स है तो किसी पर सीधा 28 प्रतिशत। महंगाई ने आदमी का जीना मुश्किल कर दिया है । ऐसे में वो सरकार को जमकर कोस रहा है।
मानिक चौक व्यापार मंडल के अध्यक्ष अतुल जैन ने बताया कि अच्छे अच्छे ऑफर के बावजूद बिक्री का प्रतिशत काफी कम है। जीएसटी के भय ने ग्राहकों को डरा रखा है और उसका डरना भी वाजिब है क्योंकि कीमतें आसमान छू रही हैं। उन्होंने बताया कि जीएसटी में इतनी असमानता है कि व्यापारी उसी में उलझ गया है। एक देश-एक टैक्स का नारा गलत साबित हो रहा है।
हिमालय साड़ी सेंटर के संचालक ज्ञान गंगवानी और विशाल गंगवानी बताते हैं कि धनतेरस पर उनके शोरूम ग्राहकों से भरे होते थे लेकिन इस बार ग्राहक नदारत हैं जो लोग कपड़े खरीदने आ रहे हैं वे भी शगुन पूरा करने को। जीएसटी के वजह से कपड़ा उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। उन्होंने बताया कि मोदीजी के आगे व्यापारी नतमस्तक होकर अपील कर रहा है कि जीएसटी के नाम पर देशवासियों को उलझाया न जाये बल्कि उसे सरल बनाकर सबको उसका लाभ दिया जाये। उन्होंने बताया कि देशवासी टैक्स देने से नहीं डर रहे बल्कि जबरन थोपे जा रहे टैक्सेस से सहम गये हैं।
बर्तन व्यापारी संतोष हयारण ने बताया कि धनतेरस पर सुबह बाजार थोड़ा कम चला लेकिन शाम को बिक्री बढ़ी परन्तु ग्राहकों ने इस बाजार छोटे बर्तन ही खरीदे। उन्होंने कहाकि सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन करे अन्यथा व्यापारी परेशान हो जायेगा।
सुपर मार्केट में कॉस्मेटिक व्यापारी सुकेश गुप्ता कहते हैं कि 28 प्रतिशत टैक्स थोपकर व्यापारी को तो कमजोर किया ही गया है ग्राहक को भी सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। हर चीज महंगी हुई है । इतने बड़े त्योहार पर रौनक गायब है। सुकेश ने बताया कि पिछले सालों की अपेक्षा इस बार धनतेरस फीकी है और इसकी जिम्मेवार केन्द्र सरकार है। उन्होंने बताया कि व्यापारी सबसे ज्यादा भाजपा में आस्था रखता था लेकिन अब उसका भ्रम टूट गया है।