(धर्मेन्द्र साहू )
अपने प्रखर उदबोधन और भाजपा के सशक्त नेता के रूप में डॉ.रवीन्द्र शुक्ला की विशिष्ट पहचान है। झांसी नगर से वे लगातार चार बार विधायक रहे और प्रदेश की भाजपा सरकार में दो बार महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री पद पर सुशोभित रहे। इन पदों पर रहकर उन्होंने प्रदेश के विकास व रोजगार को लेकर नई इबारत लिखी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि से भरा उनका जीवन साहित्यकार व कवि के रूप में भी जाना जाता है। उनकी काव्यकृति शत्रुघ्न चरित्र काफी प्रसिद्ध हो रही है। रवीन्द्र शुक्ला आपातकाल के दौरान छह माह जेल में बंद रहे । राममंदिर आंदोलन के दौरान उन्हें रासुका में निरूद्ध किया गया। दैनिक समाचार पत्र राष्ट्रबोध का संपादन कर उन्होंने पत्रकारिता जगत में भी पहचान बनाई। पृथक बुंदेलखंड राज्य को लेकर उन्होंने मुखर होकर अपने विचार रखे।
झांसी। पृथक बुंदेलखंड राज्य के मुददे पर प्रदेश के पूर्व मंत्री डॉ.रवीन्द्र शुक्ला का कहना है कि राज्य आंदोलन के नाम पर अलग-अलग आवाज उठाने वाले संगठनों को एक मंच पर आना होगा तभी सरकार अलग राज्य बनाने पर सहमत हो सकती है। उन्होंने कहाकि अभी कुछ संगठन केवल राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर आंदोलन कर रहे है और वे इसीलिये इसमें जनभागीदारी नहीं जुटा पाए हैं। उन्होंने कहाकि भाजपा हमेशा छोटे राज्यों की पक्षधर रही है।
खास रिपोर्ट डॉट कॉम से बातचीत करते हुये डॉ.रवीन्द्र शुक्ला ने कहाकि बुंदेलखंड के नाम पर राजनीति बहुत हुई है । कभी राहुल गांधी यहां राजनीति चमकाने आये तो कभी मायावती लेकिन भाजपा ने हमेशा छोटे राज्यों पर सहमति जताकर कई अलग राज्य बनाकर उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ा । जहां तक बात बुंदेलखंड की है तो यहां आंदोलन करने वाले संगठन ही अब तक एक मंच पर नहीं आ पाये हैं और जब तक संगठनों में आपसी सामंजस्य नहीं होगा तब तक सरकार को निर्णय लेने में बड़ी समस्या होती है।
उन्होंने कहाकि चीनी यात्री हवेनसॉंग ने अपनी यात्रा संस्मरण में बुंदेलखंड की समृद्धि पर विस्तार से लिखा है । महाभारत की रचना यहीं के निवासी वेदव्यास जी ने की। भगवान राम का जीवन कई वर्ष यहां गुजरा जिसका जिक्र बाल्मीकी रामायण में है। इससे जाहिर है कि बुंदेलखंड की शुरू से ही अलग पहचान रही है लेकिन कभी प्राकृतिक आपदाओं तो कभी कुछ सरकारों की उदासीनता से ये पिछड़ गया है। उन्होंने कहाकि अब केन्द्र व प्रदेश में भाजपा की सरकार है ऐसे में यहां विकास की बयार आयेगी।
उन्होंने कहाकि बुंदेलखंड अलग राज्य को लेकर उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में सहमति बननी बाकी है और उम्मीद है कि आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे लेकिन इसके लिये जनसमर्थन की भी नितांत आवश्यकता है।
उन्होंने कहाकि बुंदेलखंड ने राष्ट्र को कई वीर, वीरांगनाऐं, खिलाड़ी, कवि, साहित्यकार एवं कई प्रतिभाऐं दी हैं ऐसे में क्षेत्र के विकास पर भी पूर्ववर्ती सरकारों को ध्यान देना चाहिये था । उन्होंने कहाकि वे पार्टी के शीर्ष नेताओं के सामने पृथक बुंदेलखंड राज्य निर्माण के मुददे को प्रमुखता से रखेंगें ताकि ये क्षेत्र भी विकास की दौड़ में अब्बल हो सके।