धर्मेन्द्र साहू
मुम्बई। यदि आपके अंदर हुनर है और कला के प्रति समर्पण है तो फ़िल्मी दुनिया मौका ज़रूर देती है। बस थोड़ा धैर्य जरूर होना चाहिए । ये कहना है फिल्म कलाकार एवं निर्देशक राकेश साहू का।
उत्तर प्रदेश के ललितपुर निवासी राकेश साहू यूँ तो आइ ई आर टी ,इलाहबाद से इंजीनियरिंग से पास आउट है लेकिन जब वे ए एम आइ ई की तैयारी करने दिल्ली पहुंचे तो थिएटर से इनका लगाव हो गया। फिर क्या था, इन्होंने ‘श्री राम सेंटर’ से एक्टिंग का कोर्स किया और दिल्ली में कई थिएटर प्ले किये। इनके परिजनों को इस बात की खबर भी नही थी कि बेटा थिएटर प्ले कर रहा है। केवल इनके बड़े भाई राजकुमार साहू को इसकी जानकारी थी और उन्होंने ही इनको प्रोत्साहित किया।
बाद में राकेश साहू ‘भारत भवन’ भोपाल के रंग मंडल (रेपर्टरी)में रहे ,जहाँ चार वर्ष तक देश दुनिया के कई बड़े डायरेक्टर और कलाकारों के साथ संपर्क रहा। इस दौरान इन्होंने शेक्सपियर,कालिदास,ब्रेख्त,जयशंकर प्रसाद जैसे नाटककारों के नाटक “शकुंतला” और “स्कन्दगुप्त”,किंग लियर आदि दर्जनों नाटकों में अभिनय किये।
1988 में राकेश भोपाल से मुम्बई पहुंचे जहाँ डायरेक्टर अनुराग बसु के पिता सुब्रत बोस के साथ संघर्ष का लंबा समय बिताया। चूँकि राकेश सुब्रत बोस से उम्र में काफी कम हैं, इसलिए उनका स्नेह इन्हें काफी मिला । मुम्बई में वरिष्ठ कलाकार और निर्देशक राजा बुंदेला का इन्हें मार्गदर्शन मिला ।
उसी दौरान बी.आर. चोपड़ा मशहूर सीरियल ‘महाभारत’का निर्माण कर रहे थे और इस सीरियल में इनको भगवान् श्री कृष्ण के बाल सखा श्रीदामा की भूमिका निभाने का मौका मिल गया । राकेश साहू ने श्रीदामा के करैक्टर में जान डाल दी। दर्शकों ने उन्हें बहुत प्यार दिया। राकेश साहू के लिए ये शो मील का पत्थर साबित हुआ। इसके बाद तो ‘भारत – एक खोज’, ‘ हुआ सवेरा’ और ‘ब्योमकेश बक्शी ‘ जैसे सफल धारावाहिको में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जीवी अय्यर की “स्वामी विवेकानंद” और श्याम बेनेगल की फिल्म ‘समर’ में इन्होंने एक्टिंग की । फिल्म “आकांक्षा” में मुख्य भूमिका निभायी।राकेश ने फिल्म ‘मनी है तो हनी है’ , “पिंजर”, “हमदम”में बतौर चीफ असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया। डाॅ चंद्रप्रकाश दिव्वेदी निर्देशित व सनी देओल अभिनीत फिल्म ‘मोहल्ला 80’ और “जेड प्लस” जैसी फिल्मों में एसोसिएट डायरेक्टर की जिम्मेदारी निभायी है। टीवी सीरियल ‘झाँसी की रानी’, कशमकश और ‘जोधा अकबर’ के भी वे एसोसिएट डायरेक्टर रहे हैं जबकि ‘सम्राट अशोेक ‘और ‘महाराणा रणजीत सिंह’ में वे क्रिएटिव हेड रहे हैं। हाल ही में उन्होंने पंजाबी फिल्म ” हरजीता ” (2016 की जूनियर हाॅकी वर्ल्ड कप विनर टीम कैप्टन की लाइफ पर आधारित) में एसोसिएट डायरेक्टर की जिम्मेवारी निभाई है।
राकेश साहू कहते हैं कि पहले इस इंडस्ट्री में संघर्ष बहुत था क्योंकि चुनिंदा बैनर थे और कम्युनिकेशन के साधन कम थे परंतु अब सोशल मीडिया के युग में अपनी एक्टिंग और हुनर को पहुंचाना थोड़ा आसान हो गया है लेकिन धैर्य की बहुत ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि फ़िल्मी दुनिया में कला की आज भी कदर है और ये इंडस्ट्री सबको मौका देती है।