यशपाल के प्रयास से किसानों को टिप्स देने आये रूस के वैज्ञानिक
किसानों को बताये 30 प्रतिशत अधिक पैदावार करने के तरीके
झाँसी/2 दिसंबर। बुंदेलखंड में रसियन पद्धति पर आधारित जैविक खेती द्वारा फसलों की पैदावार बढ़ाने के टिप्स देने रूस के वैज्ञानिकों का एक दल झाँसी आया। वैज्ञानिकों ने कुछ खेतों में प्रयोग के तौर पर स्थानीय किसानों से बुवाई कराई जिसके परिणामो का आँकलन 30 दिन बाद किया जाएगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस पद्धति से 30 प्रतिशत अधिक पैदावार होती है।
बुंदेलखंड के किसानों की फसलें उन्नत हों और उनकी आय बढ़े इस उद्देश्य से रूस के वैज्ञानिकों का एक दल भारतीय राष्ट्रीय सहकारिता संघ के निदेशक यशपाल सिंह यादव की अगुवाई में झाँसी आया। जिले के तिलैथा,मुस्तरा और भोजला गाँव में इन वैज्ञानिकों ने किसानों को रसियन आर्गेनिक तरीकों से फसल की अच्छी पैदावार करने के टिप्स दिए। रसियन बायोडेक्स, ऑर्गेमिका-पी और सेव द वैक्टेरिया आदि के सम्मिश्रण से बीज बोने पर 20 से 30 प्रतिशत अधिक फसल होने का दावा इन वैज्ञानिकों ने किया है। रूस के वैज्ञानिक सुमिलोव लूरी और लायसेरको ल्वान ने अपने हिंदी अनुवादक संजीव झा के माध्यम से किसानों को जैविक खेती के लाभ बताये ।
इस दौरान भारतीय राष्ट्रीय सहकारिता संघ के निदेशक यशपाल सिंह यादव ने बताया कि पिछले वर्ष कृभको और आन्या पॉलिटेक फर्टिलाज़र कंपनी ने संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में इस रसियन पद्धति से फसल बोई थी जिसके काफी सकारात्मक परिणाम आये थे। उन्होंने बताया कि इस विधि में कम से कम फ़र्टिलाइज़र और कैमिकल का प्रयोग होता है परंतु फसल काफी अच्छी होती है।
विदेशी वैज्ञानिकों के इस प्रयोग को किसानों ने काफी बारीकी से समझा।
रसियन वैज्ञानिकों ने तिलैथा गाँव के अलावा भोजला और मुस्तरा गाँव में कुछ हिस्से में अपनी विधि से बुवाई की जिसकी समय-समय पर फोटोग्राफी कराई जायेगी। लगभग 30 दिन बाद इस के परिणामों का आँकलन किया जाएगा कि पारम्परिक खेती की तुलना में रसियन जैविक खेती में मुनाफे की संभावना कितने प्रतिशत बढ़ी है। फिलहाल बुंदेलखंड के किसानों के लिए ये प्रयोग एक सकारात्मक कदम बताया जा रहा है।
इस दौरान तिलैथा के प्रधान विनय कुमार, हरगोविंद लल्ला, ब्लॉक प्रमुख तेजपाल सिंह, रोहित, दौलत सिंह आदि किसान मौजूद रहे।