जाति और धर्म में बंट के लोगों ने अपने मूल अधिकारो को खो दिया। ज़्यादातर नेता किसान और मज़दूरों के नाम पे नेता बनते है और उनकी आवाज़ उठाते है तो फिर क्यों किसान आत्महत्या करने पे मजबूर है और मज़दूर क्यों इतना बेबस है ???
ज़्यादातर आबादी अपने स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अधिकारो से क्यों वंचित है ? आज श्रमिकों का जो हाल है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। आप लोग क्यों नहीं समझते की गलती हमारी है … भक्ति और चमचागिरी दोनो ही घातक है। अपने अधिकारो को पहचानिए और अपनी बुनियादी ज़रूरतों को और अपने देश को सर्वोपरि रखिये। अगर आप जागरूक है तो नेता और अधिकारी आप के सेवक है और पुलिस आप की रक्षक है….. वरना ये सब आप के भक्षक है।
लोकतंत्र एक वरदान है लेकिन अगर ये अनपढ़, अशिक्षित और पद प्रतिष्ठा के स्वार्थी लोगों के हाथ लग जाए तो श्राप है।